रत्न धारण से बहुत अच्छा विकल्प रुद्राक्ष धारण करना होता है
रत्न धारण करना भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह माना जाता है कि विभिन्न रत्नों के धारण से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रत्न धारण का एक उत्कृष्ट विकल्प रुद्राक्ष धारण करना भी है? रुद्राक्ष का महत्व और उसकी प्रभावशीलता किसी रत्न से कम नहीं है। यहाँ हम जानेंगे कि रुद्राक्ष धारण करना क्यों और कैसे रत्न धारण से बेहतर हो सकता है।
रुद्राक्ष का इतिहास और महत्व
रुद्राक्ष का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है। यह भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ माना जाता है। रुद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ है "रुद्र" (भगवान शिव) और "अक्ष" (आंसू)। इसकी उत्पत्ति का यह पौराणिक कथा इसे अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली बनाती है।
रुद्राक्ष के प्रकार और उनके लाभ
रुद्राक्ष विभिन्न मुखियों (मुख) में उपलब्ध होते हैं, जैसे एकमुखी, द्विमुखी, पंचमुखी आदि। प्रत्येक मुखी का अपना विशेष महत्व और लाभ होता है:
1. एकमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और इसे धारण करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
2. द्विमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान अर्धनारीश्वर का प्रतीक है और इसे धारण करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है।
3. पंचमुखी रुद्राक्ष: यह सबसे सामान्य और आसानी से उपलब्ध रुद्राक्ष है, जो हर प्रकार के दोषों से मुक्त करता है और सामान्य जीवन में संतुलन लाता है।
शिव पुराण के अनुसार रुद्राक्ष 1 मुखी से 14 मुखी बताए गए हैं
रुद्राक्ष धारण के लाभ
1. मानसिक शांति और स्थिरता: रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक तनाव कम होता है और मन की शांति प्राप्त होती है।
2. स्वास्थ्य लाभ: यह हृदय, रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
3. आध्यात्मिक उन्नति: यह व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है और ध्यान में गहराई लाता है।
4. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से बचाता है।
रत्नों की तुलना में रुद्राक्ष क्यों?
1. आर्थिक दृष्टिकोण से सस्ता: रत्न धारण करना महंगा हो सकता है, जबकि रुद्राक्ष आसानी से उपलब्ध और सस्ता होता है।
2. सभी के लिए उपयुक्त: रुद्राक्ष किसी भी राशि या जन्म कुंडली को ध्यान में रखे बिना धारण किया जा सकता है।
3. प्राकृतिक और पवित्र: रुद्राक्ष पूरी तरह से प्राकृतिक और पवित्र होता है, जिससे इसे धारण करने में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
कौन सा रत्न और कौन सा रुद्राक्ष
1. माणिक (रूबी):
- रुद्राक्ष: एकमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: आत्मविश्वास और नेतृत्व की क्षमता में वृद्धि।
2. मोती (पर्ल):
- रुद्राक्ष: द्विमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता।
3. मूंगा (कोरल):
- रुद्राक्ष: त्रिमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: ऊर्जा और साहस में वृद्धि।
4. पन्ना (एमराल्ड):
- रुद्राक्ष: चौमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: बुद्धिमत्ता और संचार कौशल में सुधार।
5. पुखराज (येलो सफायर):
- रुद्राक्ष: पंचमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: समृद्धि और धन की वृद्धि।
6. हीरा (डायमंड ):
- रुद्राक्ष: छह मुखी रुद्राक्ष
- लाभ: समृद्धि और धन की वृद्धि।
7. नीलम (ब्लू सफायर):
- रुद्राक्ष: सप्तमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और मानसिक स्थिरता।
8. गोमेद (हेसोनाइट):
- रुद्राक्ष: आठमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: तनाव और चिंता से मुक्ति।
9. लहसुनिया (कैट्स आई):
- रुद्राक्ष: नवमुखी रुद्राक्ष
- लाभ: समस्याओं से बचाव और सुरक्षा।
रुद्राक्ष धारण के नियम
रुद्राक्ष धारण करने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। इसे धारण करने से पहले पूजा-पाठ और भगवान शिव का ध्यान करें। इसे हमेशा सफेद धागे में धारण करें और नियमित रूप से इसकी सफाई करें।
निष्कर्ष
रत्न धारण की परंपरा प्राचीन और प्रभावशाली है, लेकिन रुद्राक्ष धारण करना भी एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र विकल्प है। इसकी सहज उपलब्धता, कम कीमत और व्यापक लाभ इसे हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त बनाते हैं। इसलिए, यदि आप रत्न धारण करने का विचार कर रहे हैं, तो एक बार रुद्राक्ष धारण करने के बारे में भी जरूर सोचें। यह न केवल आपको मानसिक और शारीरिक लाभ देगा, बल्कि आपकी आध्यात्मिक यात्रा को भी समृद्ध करेगा।
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