रुद्राक्ष की उत्पत्ति

 




रुद्राक्ष की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान शिव से संबंधित है। पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने संसार के दुखों को देखकर गहन तपस्या की। उनकी इस गहरी ध्यानावस्था में उनके नेत्रों से आंसू की एक बूंद धरती पर गिरी, जिससे रुद्राक्ष का पेड़ उत्पन्न हुआ। इस प्रकार, रुद्राक्ष को भगवान शिव के आंसुओं का प्रतीक माना जाता है और इसे अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली धारण किया गया है।

रुद्राक्ष के वृक्ष मुख्यतः हिमालय के क्षेत्र, नेपाल, भारत, इंडोनेशिया, और मलेशिया में पाए जाते हैं। इन पेड़ों के बीजों को रुद्राक्ष कहा जाता है। रुद्राक्ष वृक्ष का वैज्ञानिक नाम *Elaeocarpus ganitrus* है। ये वृक्ष ऊँचाई वाले स्थानों पर उगते हैं और इनके फल नीले रंग के होते हैं, जो पकने पर भूरे हो जाते हैं। इन फलों के बीजों को निकालकर उपयोग में लाया जाता है। 

रुद्राक्ष का आकार, मुख (फेस), और संरचना भिन्न हो सकते हैं, और इन्हीं आधार पर इनके विभिन्न प्रकार होते हैं। मुख की संख्या के आधार पर रुद्राक्ष के बीजों की ऊर्जा और उनका प्रभाव भी भिन्न होता है। 

रुद्राक्ष की उत्पत्ति और उसकी पवित्रता का वर्णन न केवल धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, बल्कि आधुनिक विज्ञान भी इसे स्वीकार करता है। इसकी उत्पत्ति के साथ जुड़े वैज्ञानिक तथ्य भी रुद्राक्ष के आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभों की पुष्टि करते हैं। 

इस प्रकार, रुद्राक्ष न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी है।

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